Thursday 29 August 2013

हां मैं दे रहा हूं "सत्याग्रह" को फुल मार्क्स !

फिल्म सत्याग्रह जिसमें आपको " स्टार के झुंड " दिखाई देगें। ये फिल्म रिलीज तो 30 अगस्त यानि कल होगी, लेकिन मैं फिल्म के रिलीज होने के एक दिन पहले ही इसकी समीक्षा कर दे रहा हूं, वरना कल तो आपको फिल्मों की समीक्षा करने वाले गुमराह कर देगें। वजह अब समीक्षा फिल्म देखकर उसकी गुणवत्ता के आधार पर तो की नहीं जाती, बल्कि फिल्म के निर्माता, निर्देशक और कलाकारों से संबंधों के आधार पर उसे नंबर दिए जाने लगे हैं। अब फिल्म में अमिताभ बच्चन हैं तो किसी समीक्षक की हैसियत ही नहीं है कि फिल्म को खराब नंबर दे, लेकिन फिल्म के प्रमोशन में भेदभाव को लेकर कुछ चैनलों में जरूर नाराजगी है। देखिए टीवी चैनल का फार्मूला हे, सबसे पहले और फिल्म का सबसे बड़ा कलाकार उसके ही स्टूडियो में होना चाहिए। जाहिर है जहां अमिताभ बच्चन सबसे पहले गए होंगे, वहां सत्याग्रह को अच्छे नंबर मिलेगे, जहां बाद में गए होंगे, वहां कुछ नंबर तो कटेगा ही। जहां नहीं गए होंगे वहां क्या होगा, ये आसानी से समझा जा सकता है। हालाकि मैने अभी पिक्चर नहीं देखी है और कल रिलीज हो रही इस पिक्चर को देखने का समय भी मेरे पास नहीं है, फिर भी मैं आज ही इसे पांच में पांच यानि फुल मार्क्स दे रहा हूं। अब आप कह सकते हैं कि ये तो बेईमानी है, तो मेरा आपसे सवाल है, जब पिक्चर रिलीज हुए बगैर फिल्म के निर्माता प्रकाश झा ने ताल ठोक कर कह दिया कि उनकी फिल्म " सत्याग्रह " एक हजार का कारोबार करेगी और सब लोग खामोश हैं, तो मेरे फुल मार्क्स देने पर भला आप कैसे हल्ला कर सकते हैं ?

वैसे ईमानदारी की बात बताऊं ! अमिताभ बच्चन जैसा महानायक कई हजार साल बाद पैदा होता है। मैं तो अपने को खुदनसीब मानता हूं कि उनकी पिक्चरों को देखते हुए बड़ा हुआ हूं। अब ये अलग बात है कि मेरे पैदा होने के तीन साल बाद ही यानि 1969 में ही अमिताभ बच्चन ने सात हिंदुस्तानी से फिल्मों की शुरुआत कर दी, लेकिन उनका अच्छा समय तब आया जब मैं फिल्मों को कुछ जानने समझने लगा। यानि 1973-74 के बाद से। अब तक अमिताभ को देख रहा हूं। मेरे जेहन में ऐसा कोई किरदार नजर नहीं आता है जो अमिताभ ने ना निभाया हो। अमिताभ के फिल्मों को मैं क्या गिनाऊं, बच्चा बच्चा जानता है। उस दौर में आज की तरह मीडिया भी नहीं थी, जो बताती कि ये पिक्चर बहुत अच्छी है और ये बहुत बुरी। अमिताभ उस दौर के कलाकार हैं, जब उनके बोले गए डायलाग देश और दुनिया में बच्चा-बच्चा बोलता रहता था। आज फिल्मों को बढिया बताने के लिेए मीडिया ने अलग ही पैमाना तैयार कर लिया है। फलां फिल्म सौ करोड़ के क्लब मे शामिल हो गई, फलां फिल्म ने दो सौ करोड़ कमाए। ये अलग बात है कि 200 करोड कमाने वाली फिल्म को लोग गाली दे रहे हैं। बहरहाल अमिताभ की हर आने वाली पिक्चर को इसलिए भी देखना जरूरी है ताकि अमिताभ बच्चन के बनाए जा रहे फिल्मी इतिहास के हम भी गवाह रहें। आने वाली पीढी के सामने गर्व से कह सकें कि पिक्चर तो हमारे जमाने में बनती थी। बताइये अब अगर हम इस पिक्चर को पांच में पांच दे रहे हैं तो इसमें क्या गलत है।

अच्छा सत्याग्रह तो इसलिए भी देखना जरूरी है कि यहां स्टार नहीं स्टारों को पूरा झुंड है और सभी एक से बढ़कर एक। अमिताभ को छोड़ भी दें तो क्या आप अजय देवगन को नहीं देखने जाएंगे, मनोज वाजपेयी पर दांव नहीं लगाएंगे। फिर करीना को भी छोड़ देंगे क्या ? इसके अलावा अमृता राव, अर्जुन रामपाल की क्या बात है ? वैसे मल्टीस्टार को लेकर फिल्म बनाई गई है, लेकिन पूरी कहानी करीना के ही इर्द गिर्द घूमती रहती है। मेरे लिए करीना को देखना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि फिल्म में वो एक तेजतर्रार टीवी जर्नलिस्ट है। मैं देखना चाहता हूं कि जर्नलिस्ट जिस तरह की मुश्किलों से दो-चार होते हैं, प्रकाश झा वहां तक पहुंच पाए भी हैं या नहीं। वैसे तो करीना सत्याग्रह कर रहे लोगों की आवाज को दूर दूर तक पहुंचाने और लोगों को जगाने का काम कर रही है। अगर मैं कहूं कि करीना की रिपोर्ट की वजह से ही ये आंदोलन इतना बड़ा हो गया तो गलत नहीं होगा। फिल्म रिलीज तो कल होगी, लेकिन सत्याग्रह को लेकर कुछ विवादों की चर्चा टीवी चैनलों से शुरू होकर राजनीतिक गलियारे तक पहुंच गई है। कहा जा रहा है कि ये फिल्म बापू के सत्याग्रह पर नहीं बल्कि अन्ना के सत्याग्रह पर आधारित है। ये भी कहा जा रहा है कि देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जिस तरह से अन्ना ने अपने आंदोलन के जरिए सरकार को हिला दिया और पूरे देश को तिरंगे के नीचे ला खड़ा किया, कुछ ऐसी कहानी सत्याग्रह की है। भ्रष्ट व्यवस्था पर चोट करते हुए अमिताभ की आक्रामक अदाकारी पर निश्चित ही सिनेमा हाल तालियां की गडगड़ाहट से गूंज उठेगा। 

हालाकि जो इस फिल्म की यूएसपी है, बेचारे निर्माता निदेशक उसी से हाथ झाड़ते नजर आ रहे हैं। मेरे ख्याल से तो उन्हें तो ठोक कर कहना चाहिए था कि हां इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई गई है, अन्ना के आंदोलन से भी फिल्म प्रभावित है। पर उन्हें लगता है कि मीडिया ने अगर इस फिल्म को अन्ना आंदोलन से जोड़कर प्रचारित करना शुरू किया तो कहीं सरकार और संसद के कान ना खड़े हो जाएं और बेवजह फिल्म संकट में पड़ जाए। इसलिए लगभग सभी टीवी चैनलों पर फिल्म के प्रमोशन के दौरान प्रकाश झा ने साफ कहाकि यह फिल्म कहीं से भी अन्ना आंदोलन से प्रभावित नहीं है। सफाई देते हुए उन्होंने यहां तक कहा कि इस फिल्म कहानी तो फिल्म "राजनीति" के साथ ही लिखी जा चुकी थी। वैसे हम सब जानते हैं कि अमिताभ किसी तरह भी राजनीति में हिस्सा नहीं लेते हैं, वो सिर्फ फिल्म में एक किरदार निभा रहे हैं। लेकिन इस समय गांधी परिवार से उनकी थोड़ी दूरी बनी हुई है, इसलिए वो भी नहीं चाहते कि बेवजह मामले को तूल दिया जाए।  वैसे तो अगर बात सिर्फ अन्ना की होती तो मुझे नहीं लगता कि अमिताभ या प्रकाश झा को ये कहने में कोई दिक्कत होती कि फिल्म इसी आंदोलन से प्रभावित है। मुश्किल ये है कि इस आंदोलन में कुछ ऐसे बदजुबान लोग थे, जिन्होंने मर्यादाओं को ताख पर रख दिया और गाली गलौज की भाषा शुरू की। यही वजह है कि आंदोलन भी बिखर गया। बहरहाल अमिताभ और प्रकाश कुछ भी दावा करें, लेकिन मेरा तो मानना है कि ये फिल्म निर्भया (मामले), महात्मा गांधी और अन्ना हजारे की याद जरूर दिलाएगी।
  
हां भाई ! आजकल सनीमा में गाना - बजाना पर भी बहुत जोर होता है। जानते हैं, ठंडा- ठुंडी गाना भी लोग पसंद नहीं करते। दर्शकों का चाहिए आयटम सांग। अब देखिए भ्रष्टाचार और अन्ना आंदोलन से प्रेरित फिल्म में भला आयटम सांग का क्या मतलब ? लेकिन नहीं साहब आयटम का तड़का ही तो फिल्म को आजकल सुपर डुपर बनाता है। इसीलिए अब इस फिल्म में ‘अय्यो जी हमरी अटरिया में’ जैसा आयटम सांग शामिल कर दिया गया है। फिल्म में आयटम सांग जोड़े जाने की बात पर सफाई देते हुए प्रकाश झा कहते हैं कि यह गीत भ्रष्ट लोगों के मनोविज्ञान को समझने में मददगार होगा। ‘सत्याग्रह’ में यह गाना भ्रष्ट लोगों के दबदबे और उनकी मिली भगत का माहौल दिखाएगा। इसीलिए गाने के बोल जानबूझ कर व्यंग्य वाले रखे गए हैं। इस गाने में मॉडल नताशा के साथ फिल्म में लीड रोल कर रहे अजय देवगन की भी एक झलक दिखेगी। हां एक अच्छी बात और , सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपनी मधुर आवाज का जादू बिखेरेगें। इसमें वो एक भजन गा रहे हैं। अमिताभ भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक व्यक्ति के किरदार को पर्दे पर साकार कर रहे हैं। इसलिए ‘रघुपति राघव राजा राम’ को अपनी सुमधुर आवाज देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।

अब आखिरी बात ! फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई, लेकिन इस बात पर जरूर बहस शुरू हो गई है कि ये फिल्म कमाई कितना करेगी। सलमान की दबंग ने सौ करोड की कमाई की तो पूरी इंडस्टी में हल्ला मच गया। सलमान का जवाब दिया शाहरुख ने चेन्नई एक्सप्रेस से। उनकी फिल्म ने दो सौ करोड की कमाई की। हांलाकि चेन्नई एक्सप्रेस की कमाई की वजह कुछ और भी है। पहला तो ये कि फिल्म फेस्टिव सीजन पर रिलीज हुई, इसके अलावा रिलीज होने के दौरान काफी छुट्टियां रहीं, जिसकी वजह से फिल्म ने कमाई तो बेहतर की, लेकिन पैसे के साथ जो गाली मिल रही है, शायद शाहरुख खान के पास उस गाली का कोई एकाउंट नहीं है। मतलब चेन्नई एक्सप्रेस पर लोग हंसते हुए सवार तो हुए लेकिन रोते हुए उतरे। उन्हें लगा कि इस एक्सप्रेस में उनकी जेब कट गई। वैसे सच कहूं कि जब आजकल फिल्मों की कामयाबी का पैमाना उसकी कमाई से है, तो मुझे लगता है कि सत्याग्रह वाकई रिकार्ड तोड़ देगी। बहरहाल प्रकाश झा ने एक हजार करोड़ कमाई की बात की है, चलिए उनको शुभकामनाएं दे रहा हूं, लेकिन हां मुझे लगता है कि फिल्म देखकर कम से कम दर्शक गाली देते हुए सिनेमा हाल से बाहर नहीं आएंगे। बाकी कल देखिए पिक्चर !






Sunday 11 August 2013

पटरी पर आते ही डिरेल हुई चेन्नई एक्सप्रेस !



शाहरूख खान और दीपिका की बात बाद में करुंगा, पहले फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी से पूछना चाहता हूं कि आप ने फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस क्या सोच कर बनाई है ? आप एक्शन मूवी बनाना चाहते थे, रोमांस दिखाना चाहते थे, कहानी पर फोकस था, काँमेडी के जरिए दर्शकों में स्थान बनाना चाहते थे ? आखिर आप करना क्या चाहते थे ? सच कहूं पिक्चर क्यों बनाई और किसके लिए बनाई गई, यही साफ नहीं है। बस फिल्म चल रही है, शाहरुख और दीपिका के दिवाने सीटी बजा रहे हैं, सबसे ज्यादा उत्तर भारत में दर्शक उस जगह पर ताली ठोंकते हैं, जहां फिल्म में तमिल भाषा में गुटरगूं हो रही है, जबकि ये संवाद उनकी समझ में भी नहीं आ रहा है। बहरहाल अगर फिल्म की कामयाबी का पैमाना ये है कि फिल्म सौ करोड़ के क्लब में शामिल हो गई ? या फिल्म की ओपनिंग 33 करोड़ से हुई है, फिर तो मुझे कुछ नहीं कहना है, लेकिन अगर बात मेरिट की हो, बात कलाकारों के प्रदर्शन की हो, बात कहानी की हो तो इस पैमाने पर यह फिल्म प्रशंसकों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। हम यूं कहे कि पटरी पर आते ही डिरेल हो गई चेन्नई एक्सप्रेस तो गलत नहीं होगा।  

मैं तो फिल्म के बारे में एक सामान्य दर्शक के तौर पर ये बात कह रहा हूं। लेकिन बहुत सारे फिल्म समीक्षकों को मैने पढ़ा, ज्यादातर ने इस फिल्म को पांच में से सिर्फ दो स्टार दिए हैं। माफ कीजिएगा मैं नौसिखिए समीक्षकों की बात नहीं कर रहा हूं, मैं प्रोफेशनल्स की बात कर रहा हूं, जो फिल्म और उसकी तकनीक को बखूबी समझते हैं। वैसे तो आजकल नौसिखिए भी समीक्षा करने लगे हैं, जो सिनेमा का "सी"  जानते नहीं और चेन्नई के "सी" की बात कर पांच में चार स्टार दे रहे हैं। बहरहाल इसमें इन बेचारे गरीब समीक्षकों की कोई गलती नहीं है, दरअसल फिल्म का बैनर ही इतना बड़ा है कि उन्हें लगता है कि फिल्म को अगूंठा दिखाया तो कहीं मीडिया वाले उन्हें ही ना अगूंठा दिखा दें। फिर रोहित शेट्टी का निर्देशन, हीरो शाहरुख खान और हिरोइन दीपिका हो तो भला कैसे कम स्टार दे सकते हैं। इतने बड़े-बडे नामों पर ही कुछ समीक्षक गदगद हो जाते हैं। खैर कुछ सी ग्रेड समीक्षक इसलिए भी फिल्म को चार पांच स्टार दे देते हैं कि क्योंकि उन्हें थियेटर में नींद बहुत अच्छी आई होती है।
 
मैं तो यही कहूंगा कि कुल मिलाकर चेन्नई एक्सप्रेस फिल्म की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक ख़ास दर्शक वर्ग को फ़िल्म जरूर पसंद आ सकती है, लेकिन इस फिल्म की कॉमेडी एक बड़े दर्शक वर्ग को बिल्कुल अपील नहीं कर पाई। अब इस फिल्म का जितना प्रमोशन शाहरूख खान ने किया है, उससे कुछ तो फायदा होना ही था। फिर कुछ इमोशनल कारण भी है, यानि शाहरुख की स्टार पावर के साथ ही ईद जैसे त्यौहार पर फिल्म दर्शकों के बीच आई है, इसलिए भी अच्छी ओपनिंग मिलनी ही थी। लेकिन मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि ये फिल्म उत्तर भारत यानि यूपी, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, मध्यप्रदेश में ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी। अब अगर मैं फिल्म की खामियां गिनाने लगूं तो सच कहूं बात बहुत लंबी हो जाएगी, लेकिन मैं कुछ बातें जरूर कहूंगा जो एक सामान्य दर्शक को भी इसमे खटकती है।

मसलन कहानी के मुताबिक़ मीना, परेशानी में घिरी हुई है और उसे मदद की ज़रूरत है। लेकिन इस फिल्म मीना का रोल कुछ ऐसा बुना गया है, जिससे कहीं से लगता ही नहीं कि वो परेशानी में है, या फिर उसे किसी तरह की मदद की दरकार है। मतलब जो संदेश दर्शकों तक पहुंचना चाहिए था, शायद वो नहीं पहुंचा। इसके अलावा इस फिल्म का पूरा ड्रामा ही उलझा हुआ है। बात कहां चल रही है और कहां पहुंच जाती है, ये ही समझ से परे है। सबसे बड़ी खामी की अगर बात करूं तो इस फिल्म में ढेर सारे तमिल संवाद है। ये संवाद गैरतमिल भाषियों के समझ से परे हैं। उत्तर भारतीय दर्शकों को लगता है कि ये काँमेडी है, इसलिए वो वहीं ताली ठोकते रहते हैं, जबकि बात वहां कुछ और हो रही होती है। फिल्म मे तमिल कलाकारों की संख्या भी जरूरत से ज्यादा है, ये कलाकार उत्तर भारतीयों पर अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं। किसी भी फिल्म में रोमांस दर्शकों के लिए एक प्रिय विषय है। लेकिन इस फिल्म में रोमांस दर्शकों को बिलकुल अपील नहीं करता इसलिए वो इससे जुड़ ही नहीं पाए।


इसी तरह अगर बात अभिनय की करूं तो फिल्म में शाहरुख़ खान मुख्य किरदार में जरूर हैं। लेकिन कुछ जगह पर तो उनका अभिनय शानदार हैं, लेकिन काफी जगहों पर वो दर्शकों पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए। मसलन उम्र का प्रभाव उनके अभिनय और चेहरे पर दिखाई देने लगा है, यही वजह है कि कई स्थान पर उनका बड़ा थका हुआ सा चेहरा दर्शकों के सामने आया है। हां मैं दीपिका को फुल मार्क्स दूंगा। दीपिका ने अच्छा अभिनय किया है और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने में वो कामयाब रही हैं। खासतौर पर दीपिका तमिल अंदाज़ में संवाद बोलती हुई बहुत प्यारी लगी हैं। मैं कह सकता हूं कि उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है और दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। इसके अलावा निकतिन धीर के लिए पिक्चर में करने को कुछ ख़ास था ही नहीं। वैसे उनका व्यक्तित्व काफी वज़नदार है लेकिन रोल कमज़ोर दिखा। दीपिका के पिता के रोल में सत्यराज साधारण रहे हैं, लेकिन पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में मुकेश तिवारी छाप छोड़ने में जरूर कामयाब रहे हैं। इस फिल्म में मुझे  'वन टू थ्री फ़ोर' गाना तो अच्छा लगा ही, इस गाने में तमिल अभिनेत्री प्रियदर्शिनी खूब जमी है।

लेकिन बतौर निर्देशक अगर रोहित शेट्टी की बात की जाए तो इस बार उनका प्रदर्शन मेरे हिसाब से तो बहुत ही निराश करने वाला रहा है। मेरे हिसाब से तो वो ना तो एक अच्छी कॉमेडी फ़िल्म बनाने में कामयाब हो पाए और ना ही चेन्नई एक्सप्रेस को एक रोमांटिक फ़िल्म के तौर पर जनता के बीच पेश कर पाए। वैसे उन्होंने ड्रामा को तो ठीक तरह से पेश कर लिया, लेकिन फ़िल्म की कहानी का ग़लत चुनाव, फ़िल्म में ढेर सारे तमिल संवाद और चेहरों का इस्तेमाल इसके व्यापार पर निश्चित रूप से गलत असर डालने वाला रहा है। विशाल-शेखर का संगीत अच्छा है लेकिन इसमें सुपरहिट होने की क़ाबिलियत नहीं है।

बहरहाल शाहरुख, दीपिका और रोहित के लिए खुश होने की बात ये जरूर है कि  शुक्रवार को रिलीज 'चेन्नई एक्सप्रेस' ने पहले दिन में रिकॉर्ड कलेक्शन किया। इस फिल्म ने 33 करोड़ रुपये की ओपनिंग की है। ईद के मौके पर रिलीज हुई शाहरुख खान की इस फिल्म को अब तक की उनकी सबसे अच्छी शुरूआत करने वाली फिल्म बताया जा रहा है। इस फिल्म ने सलमान खान की 'एक था टाइगर' को पीछे छोड़ दिया। बताते हैं कि एक था टाइगर फिल्म को पहले दिन 31 करोड़ 25 लाख रुपये की ओपनिंग मिली थी। शाहरूख के लिए ये खुशी काफी है, यही वजह है कि बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने कल रात अपने घर मन्नत में एक शानदार पार्टी दी। अपनी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के शानदार आगाज की खुशी में हुई इस पार्टी में इंडस्ट्री के तमाम बड़े लोगों ने शिरकत की। रानी मुखर्जी, अनिल कपूर और राजकुमार, संतोषी समेत बॉलीवुड से जुड़े दिग्गज मन्नत पहुंचे। अमिताभ बच्चन ने तो बाकायदा ट्विट करके पार्टी में शामिल होने की खबर दी।


[  नोट : मुझे ये जरूर बताइयेगा कि मुझे आगे रुपहले पर्दे की समीक्षा करनी चाहिए या नहीं, मैंने पहली बार किसी फिल्म की समीक्षा लिखी है ]






Monday 5 August 2013

BIG BOSS : आओ खेलें गाली - गाली !

मीडिया पर लगातार बात करते हुए मैं भी थोड़ा ऊब सा गया हूं, सोच रहा हूं आज बात तो छोटे पर्दे की ही करूं, लेकिन खबरिया चैनलों के बजाए चलते हैं मनोरंजक चैनल की ओर। सच बताऊं आजकल टीवी पर प्रसारित होने वाले कई रियलिटी शो मुझे बहुत पसंद हैं, खासतौर पर इंडियन आयडल जूनियर और डीआईडी सुपर मम तो मेरा प्रिय शो है। लेकिन दो और रियलिटी शो पाइप लाइन मे हैं। एक बिग बी यानि अमिताभ बच्चा का शो कौन बनेगा करोड़पति, इसके अलावा हिंदी सिनेमा के दबंग मतलब सलमान खान का शो बिग बाँस। वैसे जब भी मैं किसी को बताता हूं कि मुझे रियलिटी शो बिग बाँस बहुत पसंद है, तो लोग मुझे बहुत नफरत की निगाह से देखते हैं। मतलब उनका बस चले तो मेरे मुंह पर ही थूक दें और कहें कि ये तो बिग बाँस देखता है, अब इससे तो बात करना ही बेकार है। लेकिन अब क्या कहें, मुझे शो पसंद है तो फिर है। मैं तो इस बार भी देखूंगा।

सुर्खियों में रहने वाले छोटे पर्दे के इस बहुचर्चित शो में आमतौर पर ऐसे ही लोगों को जगह मिलती है जिनके साथ कोई न कोई विवाद जुड़ा होता है। इसलिए देश में हर क्षेत्र के छटे हुए लोगों की तलाश शुरू हो गई है। इसी क्रम में कोशिश हो रही है कि इस बार शो में क्रिकेटर श्रीसंत को शामिल किया जाए। सबको पता है कि अब उसका क्रिकेट का कैरियर तो लगभग खत्म ही है। लेकिन जनाब के शौक बहुत खर्चीले और निराले हैं। जाहिर है उसे पैसों की जरूरत है और चैनल को एक विवादित सेलेब्रिटी की खोज है। वैसे केवल क्रिकेटर के तौर पर देखा जाए तो श्रीसंत की घर में उतनी जरूरत नहीं है, लेकिन उसकी अतिरिक्त योग्यता यानि मैच फिक्सिंग, सट्टेबाजी, लड़कीबाजी की वजह से ये परफेक्ट या कहें कि पूरा मस्त पैकेज है। सबको पता है कि श्रीसंत थोड़ा बिगड़ैल भी है, तो इसे अनुशासन में रखने के लिए हरभजन सिंह को भी घर में लाने की बात चल रही है। माना जा रहा है कि हरभजन को अब कैमरे पर चांटा मारने की कोई जरूरत नहीं है, दोनों आमने-सामने या साथ साथ भी होगें तो दर्शकों में अपने आप चांटे की फिलिंग आएगी।

आजकल क्रिकेट की चर्चा हो और चीयर गर्ल की बात ना हो लगता है कि बात पूरी ही नहीं हुई। मुझे तो लगता है कि अब क्रिकेट खेलने के लिए सिर्फ बैट, बाँल और विकेट की जरूरत नहीं है, बल्कि इन तीनों के साथ चीयर गर्ल भी उतनी ही जरूरी है। लिहाजा बिग बाँस के घर का न्यौता पूनम पांडे को भी दिया जा रहा है। अरे ये क्या ! आप पूनम पांडेय को नहीं जानते, पूनम को नहीं जानते मतलब पीएसपीओ नहीं जानते। जरा दिमाग पर जोर डालिए,  ये वही पांडेय है जिन्होंने ऐलान किया था कि अगर भारतीय क्रिकेट टीम विश्वकप जीतती है तो ये टीम के सामने "टाँपलेस" हो जाएगी। बेचारे क्रिकेटर कप जीतने के बाद मुंबई में काफी दिनों तक इधर उधर घूमते रहे, लेकिन पूनम पुलिस के डर से ना जाने कहां लापता हो गई थी। खैर अब देखते हैं बिग बाँस के घर में क्या जलवा दिखाती हैं पूनम।

रियलिटी शो बिग बाँस सीजन 7 के लिए एक खबर अंदर से छन कर बाहर आ रही है। कहा जा रहा है कि रितिक रोशन के साथ फिल्म 'कहो ना प्यार है' से बॉलीवुड में एंट्री करने वाली  अमीषा पटेल भी इस घर की मेहमान बन सकती है। लेकिन कहा जा रहा है कि अमीषा ने बतौर  फीस एक हफ्ते का 75 लाख रुपये मांग लिया है। इससे चैनल ये सोचने पर मजबूर हो गया है कि इतनी फीस देकर अमीषा लाना शो के लिए कितना फायदेमंद होगा ? आपको पता होगा कि पाकिस्तानी अदाकारा बीना मलिक के साथ जिस अस्मित पटेल ने बिग बाँस को गंदगी से भर दिया था, वो अस्मित अमीषा का ही भाई है। चर्चा तो यही है कि अमीषा ने भी चैनल को भरोसा दिलाया है कि अगर वो शो में आती हैं तो घर में विवाद खड़े करने से पीछे नहीं रहेंगी। अब अमीषा के पास इतना काम नहीं है, जिससे उनकी डेट मिलने में दिक्कत हो, हां उनकी फीस का मामला जरूर पेचीदा है। अगर फीस का  मसला सलट गया तो इन्हें वाइल्ड कार्ड एंट्री दी जा सकती है। वैसे चैनल ने तो ममता कुलकर्णी से भी संपर्क किया था,  लेकिन सूत्र कहते हैं कि उन्होंने शो में शामिल होने से साफ मना कर दिया।

हालाकि चैनल वाले मेरी राय मानेंगे नहीं, वरना कुछ नाम मैं भी सुझाना चाहता हूं। इस बात की गारंटी है कि अगर मेरे सुझाए नाम को चैनल के कर्ता-धर्ता बिग बाँस के घर लाने में कामयाब हो गए तो शो की टीआरपी की चिंता करने की जरूरत ही नहीं होगी। चलिए दो चार नाम बता भी देता हूं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और बाबा रामदेव, श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन और सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा, निर्मल बाबा और राधे मां, राजस्थान के पूर्वमंत्री महिपाल मदेरणा ( भंवरीदेवी वाले ) और मध्यप्रदेश के पूर्वमंत्री राघव जी (यौनाचार के आरोपी) , राज ठाकरे और लालू यादव, यूपी के पूर्वमंत्री राजा भइया और कुंडा में मारे गए सीओ की पत्नी परबीन के अलावा पूर्व रेलमंत्री पवन कुमार बंसल के साथ सीबीआई डायरेक्टर ( तोता)  को घर में शामिल होने का न्यौता भेजा जाना चाहिए। वैसे मुझे तो अभी इतने ही नाम याद आ रहे हैं, अगर आपको और कोई नाम याद आ रहा हो तो सुझाव दे सकते हैं।

ये शो मेरा तो बहुत ही फेवरिट है, लिहाजा इस शो के बारे में यहां आपको हर छोटी बड़ी खबर मिलती रहेगी। लेकिन चलते चलते आपको ये बता दूं कि पिछले सप्ताह मीडिया की एक खबर ने सनसनी फैला दी थी कि बिग बॉस के सातवें सीजन के लिए दबंग सलमान और चैनल के बीच 130 करोड़ की डील हुई है। इस डील के हिसाब से सलमान को हर एपिसोड का पांच करोड़ रूपए मिलने वाला था। लेकिन अब ये बात सामने आ रही है कि ये गलत खबर थी। बताया जा रहा है कि सलमान को पिछले साल से 50 लाख ज्यादा यानि हर एपीसोड के तीन करोड़ रुपये मिलेंगे। लेकिन छोटे पर्दे की ये फीस भी आज की तारीफ में सबसे अधिक है। इतनी फीस दस का दम करने वाले शाहरुख खान, कौन बनेगा करोडपति शो करने वाले अमिताभ बच्चन को भी नहीं मिलती है। बहरहाल अब इंतजार की घड़ी खत्म, अगले महीने से शुरू हो जाएगा बिग बाँस, मैं तो तैयार हूं आप तैयार हो जाइये, घर के भीतर का पागलपन देखने के लिए।